Emotional Mind – दिल और दिमाग का अनकहा रिश्ता
हम अक्सर कहते हैं – “दिल कुछ कहता है, दिमाग कुछ और।”
लेकिन सच्चाई यह है कि दिल और दिमाग अलग नहीं, बल्कि एक ही कहानी के दो किरदार हैं। दिमाग सोचता है, दिल महसूस करता है, और जीवन वहीं जन्म लेता है जहाँ ये दोनों एक-दूसरे से मिलते हैं।
जब हम खुश होते हैं, हमारे दिमाग की नसों में जैसे रोशनी बहने लगती है।
जब हम दुखी होते हैं, वही रोशनी धुंधली हो जाती है।
भावनाएँ केवल मन की दुनिया नहीं, शरीर भी उन्हें महसूस करता है – धड़कन तेज होना, हाथ कांपना, आँखों का भर आना। यह सब उस Emotional Mind का असर है जो हर पल हमारे अंदर सक्रिय रहता है।
हमारा emotional mind पुरानी यादों, रिश्तों, प्रेम, और उम्मीदों से जुड़ा होता है।
कभी यह हमें आगे बढ़ाता है, कभी रोक देता है, लेकिन इसमें एक खास बात है—
यह हमें इंसान बनाए रखता है।
दिमाग हमें बताता है कि क्या सही है।
दिल हमें बताता है कि क्या ज़रूरी है।
जीवन वहीं खूबसूरत लगता है जब हम सोच को महसूस के साथ संतुलित करना सीख जाते हैं।
ना सिर्फ़ दिमाग से निर्णय, ना सिर्फ़ दिल से— बल्कि दोनों के बीच की उस पतली सी खिड़की से, जहाँ सच भी होता है और एहसास भी।
यहीं हमारा असली इंसान होना शुरू होता है।



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